तुलसी
नदिंनी, तुलसी जीवनी इसके पाठ से अष्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता हैं। ज्नजेप का दर्षाता हैं। तुलसी को अत्यन्त पूजन्य माना जाता हैं। श्सम्प्रादाय में तुलसी धी प्रिया के नाम से जानी जाती हैं। इन्हें वृन्दा भी पुकारा जाता हैं सभी धर्मस्थलो पर बनाने वाला चरणामृत तुलसी दल के पत्तो की बिना अधूरा हैं| तुलसी के प्रयोग से चरणामृत शुद्ध ही नहीं अपीतु अमृत तुल्य हो जाता हैं।तुलसी जी सभी मन्दिरों में व हिन्दू परिवारो में पायी जाती हैं | इसका पौधा 2-3 फीट तक उचा होता हैं इसके पत्तें अपनी उमकपबपदंस अंसनमे के कारण औष्धियों गुणों के कारण सुगन्धित होते हैं इनकी शखाओं के अन्त में मंजरी लगायी हुई होती हैं धी अत्यन्त सुगन्धित होती हैं|
तुलसी कई प्रकार की होती हैं।
♦ रमा तुलसी
♦ शयामाँ तुलसी
♦ कपूर तुलसी
♦ वन तुलसी
♦ नींबू तुलसी
♦ सर्प विषनाषक तुलसी
♦ पूजा करने का तरीका
♦ तुलसीमाला
तुलसी अत्यान्त उपयोगी महा औषधि हैं। रामा व शयामाँ दोनो ही तुलसी के अलग-अलग प्रकार व प्रयोग हैं।
श्षामा तुलसी–
श्यामा के पत्तें हल्के हरे रंग के होते हैं। यह सौभ्य, गरम , पाचश्, पसीना आने, बच्चों की सर्दी में इस्तेमाल होती हैं।
श्ष्यामा तुलसी– इस तुलसी तुलनात्मक रूप् से अधिक गुणों वाली होती हैं। यह ूवतउे को खत्म करने वाली होती हैं। इसके आस-पास मच्छर नही आते हैं रात्री में तुलसी का रस लगाने से मच्छर नही काटतें।
कपूर तुलसी–
इस तुलसी अफ्रीका इसनम ज्नजेप के नाम से जानी जाती हैं। यह हाब्रिड अंतपमकसल हैं। यह काफी दिनों तक बिना पानी के चलती हैं इसके ेममके चतवकनबम नही होते हैं। यह सिर्फ कटिंग से लगायी जाती हैं इसकी कपूर की एक ेजतवदहमत ेउमसस होती हैं।
तुलसी–
इसे स्वीट बेजिल के नाम से जानी जाती हैं इसके तने चनतचसम बवसवत के होते हैं। मीठी तुलसी के नाम से जानी जाती हैं इसके ेममकेए चिआ ेममके के नाम से जाने जाते हैं।
नींबू तुलसी– यह ठसववक चतमेनउम को दवतउंस करती हैं। ब्ीवसमेजमतवस समअमस को भी बवदजतवस करती हैं।
यह बवसक ए बवनहीेए सिमम मिअमत और कपहमेजपवद में ीमसच निसस हैं। इसमें एंटीसेवटिक क्वालिटिज भी होती हैं। ठंसदमंस पदमिबजपवदे को दूर करती हैं। इम्यूनिटी को भी बढाती हैं।
तुलसी पूजा का तरीका- तुलसी को माता के रूप् में पूजा जाता हैं। माता तुलसी सभी प्रकार के रोगो को दूर करती हैं इसलिए इन्हें प्रति दिन दिप का दान करना चाहिए।
मन्त्र के द्वारा माता तुलसी का आवाहन करना चाहिए। तत् पष्चात धूप दीप रोली, सिन्दूर , चंदन वैवर्ध व वस्त्र अर्पित करना चाहिए
तुलसी माता जी के चारो ओर दीप दान करके विच्पि वत् उनकी पूजा करनी चाहिए। मान्यता अनुसार दीप दान करने से परिवार के सभी कष्टो का निर्वाण होता हैं तथा मन चाहे फल की पूर्ति होती हैं।
‘‘ मंत्र – महाप्रसाद जन्नी
सर्व सौभाग्यवर्धिवी
आर्धि – व्याध्र्धि
हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते;’’
तुलसी माला – तुलसी जी की टहनिया से दाने बनकर माला बनायी जाती हैं। इसको धारण करने से हदृय को शंति प्राप्त होती हैं। इसकी माला 108 दाने की होती हैं। एक ग्रिया अधिक माला के जोडे पर होती हैं। जो की गुरू की गुरिया कहलाती हैं।
मृत्यु के समय तुलसी के पत्तों का महत्व – मृत्यु के समय व्यक्ति के गले में कफ जमा हो जाने के कारण ष्वास लेने में व बोलनें में परेशनी आती हैं तुलसी के पत्तें कफ नाश्क होते हैं। इसीलिए षैया पर व्यक्ति को तुलसी का रस या तुलसी का पत्ता मुख में रखनें से आवाज निकलने लगती हैं।
तुलसी उबटन –
आज की जीवन श्श्ैली काफी व्यस्त हैं। हमारे पास अपने त्वचा के लिए भी बेहतरीन उपाय नहीं हैं। इसके लिए अपने में तुलसी उबटन का उल्लेख करते हैं।
‘‘ हल्दी चन्दन तुलसी के साथ में सेमल काटकर नवबीत संग जो लेप करे फूल सा चेहरा’’
अर्थात – हल्दी, चन्दन, तुलसी, सेमल का कांव व मंजिष्ढा के पाउडर को कपडें में छान कर नवनीत मक्खन के साथ मिलाकर अपने चेहरे पर जो प्रत्येक दिन लेप करता हैं। उसका चेहरा फूल के समन दीखता हैं।
तुलसी हतममद जमं
तुलसी के पत्तें त्र 10
मुलेढी पाउडर त्र 1चम्मच
पानी त्र गिलास
काली मिर्च साबुत त्र 3 दानें
ऽ आप इन सभी पदहेकपमअस को उपग करे
ऽ उबाल ले इतना की 1 कप रह जाए।
ऽ इसे छानकर गरम-गरम सेवन करे।
छवजमरू.
ऽ इसमें मुलेठी होने की वजह से मीठा मिलाने की आवष्यकता नहीं हैं।
ऽ यह खंसी में बहुत असरदार हैं।
ऽ ठसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता हैं।
तुलसी
तुलसी वाली चूर्ण त्र 4.6 हतंउे
इलाइची दाना त्र2 हउ
आदा त्र3हउ
पीपल त्र3हउ
काली मिर्च त्र3हउ
दाल चीनी त्र3हउ
लौंग त्र3हउ
पानी त्र 1बनच
चीनी त्र1 ज्ण्ेण्च
दूध त्र1ध्4 बन
पानी को खौला दें।
अब इसमें दूध व चीनी छोडकर सभी प्दहतमकपमदजे मिला दें।
गैंस बंद करके 5 मिनट तक छोड दें।
अब इसमें गरम दूध व चीनी मिलाएं।
अब इसे ज्वार वाले रोगी को पिलाएं।
यह सभी प्रकार के बुखार में लाभदायक हैं।