Tulsi Plant

Tulsi Plant

तुलसी नदिंनी, तुलसी जीवनी इसके पाठ से अष्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता हैं। ज्नजेप का दर्षाता हैं। तुलसी को अत्यन्त पूजन्य माना जाता हैं। श्सम्प्रादाय में तुलसी धी प्रिया के नाम से जानी जाती हैं। इन्हें वृन्दा भी पुकारा जाता हैं सभी धर्मस्थलो पर बनाने वाला चरणामृत तुलसी दल के पत्तो की बिना अधूरा हैं| तुलसी के प्रयोग से चरणामृत शुद्ध ही नहीं अपीतु अमृत तुल्य हो जाता हैं।तुलसी जी सभी मन्दिरों में व हिन्दू परिवारो में पायी जाती हैं | इसका पौधा 2-3 फीट तक उचा होता हैं इसके पत्तें अपनी उमकपबपदंस अंसनमे के कारण औष्धियों गुणों के…
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अकरकरा

अकरकरा

अकरकरा के फायदे, उपयोग और नुकसान  Akarkara (Anacyclus pyrethrum) विश्वभर में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद मानी गई हैं। इनमें अश्वगंधा, अर्जुन की छाल और मुलेठी जैसे नाम शामिल हैं। वहीं एक और जड़ी-बूटी है, जिसे शरीर के लिए फायदेमंद माना गया है। इस जड़ी-बूटी का नाम है अकरकरा। यह कई औषधीय गुणों से समृद्ध होता है, जिस वजह से इसे सेहतमंद माना जाता है। यह किस तरह से स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकता है और शारीरिक समस्याओं से बचाने में मदद करता है| अकरकरा क्या होता  अकरकरा बारहमासी जड़ी-बूटी है, जो हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती…
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गिलोय

गिलोय गिलोय की एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि। 'बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है। आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी…
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देवदार

                                            देवदार एक सीधे तने वाला ऊँचा  शंकुधारी पेड़ है| जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है।  स्निग्ध देवदारु की लकड़ी और तेल दवा बनाने के काम में भी आते हैं। इसके अन्य नामों में देवदारु प्रसिद्ध है। यह निचले पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। पहाड़ी संस्कृति का अभिन्न अंग देवदार का वृक्ष सदा से कवियों तथा लेखकों का प्रेरणा स्रोत रहा है।देवदार के पत्ते हरे…
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सिरदर्द-निवारक औषधियाँ

सिरदर्द-निवारक औषधियाँ देवदारु की लकड़ी जल में घिसकर दोनों कनपटियों पर करने से सिरदर्द दूर होता है | नौसादर और हल्दी को समान भाग लेकर महीन पीस लें, इसे सूँघने से सिरदर्द मिट जाता है | अदरक का रस और दूध समान भाग मिलाकर सूँघने से सिरदर्द जाता रहता है | मेहेंदी के पत्ते पानी या तेल में पीसकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द शान्त होती है| अकरकरा को जल में पीसकर गरम करके मस्तक पर लगाने से सिरदर्द शान्त हो जाता है | सफेद चन्दन और अनार के पत्ते जल में घिसकर मस्तक पर लेप करने से सिरदर्द मिट…
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सिर के समस्त रोगों का उपचार

 सिर के समस्त रोगों का उपचार चौलाई 2 तोला, सौंठ 1 और कालीमिर्च 6 माशा एक साथ मिलाकर पीस लें | इसका लेप करने से सिर-सम्बन्धी सभी रोग मिट जाते है | अदरक का रस, पीपल, सेंधा नमक तथा गुड़ को एक साथ घिस लें और पानी के साथ नस्य ( steam) दें | अरण्ड की जड़ और सौंठ को एक साथ कूट-पीसकर मस्तक पर लेप करने से सिर के रोग नष्ट हो जाते है |   पार्थ शिवानी
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वात-ज्वर

वात-ज्वर एक किलो पानी को इतनी देर तक उबालें की आधा पाव रह जाय | इसके सेवन करने से वात-ज्वर उतर जाता है | एक प्याज को 2-4 कालीमिर्च के साथ दिन में दो बार खाने से वात-ज्वर उतर जाता है | दो कालीमिर्च और 10 तुसली के पत्ते लेकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पकर ओढ़कर लेट जायँ, पसीना आकर कुछ देर बाद ही ज्वर उतर जायेगा | सौंठ, पीपरामूल और गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से वात-ज्वर नष्ट होता है |   पार्थ शिवानी
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रतौंधी

रतौंधी पान का रस लगाने से रतौंधी और आँखों के सफेद भाग के रोग दूर हो जाते हैं| केले के पत्तों का रस नेत्रों में लगाने से रतौंधी मिटती है | हुक्के के नहचे का काला तेल नेत्रों में लगाने से रतौंधी दूर हो जाती है | दही के तोड़ में थूक मिलाकर नेत्रों में लगाने से रतौंधी दूर होती है | पुनर्नवा की जड़ को काँजी के पानी के साथ घिसकर नेत्रों में लगाने से आराम मिलता है | तुलसी के पत्तों का स्वरस दिन में तीन बार नेत्रों में डालने से रतौंधी में आराम मिलता है |  …
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मलेरिया-बुखार

मलेरिया-बुखार कालीमिर्च को तुसली के पत्तों के स्वरस में मिलाकर सात भावना देकर सुखा लें, फिर उसकी मटर के बराबर गोलियाँ बना लें | बुखार आने के 4 घंटे पूर्व 1-1 घंटे बाद चार गोलियाँ खाने से बुखार नहीं आता है | बुखार उतर जाने के बाद 11 कालीमिर्च चबाने से बुखार नहीं आता है | एक तोला गुड़ में 3 माशा काला जीरा मिलाकर दिन में चार बार खाने से मलेरिया ठीक हो जाता है | यह दवा दो-दो घंटे के अन्तर से दो-तीन खुराक देनी चाहिए | पाँच इंच लम्बा गिलोय का टुकड़ा और 15 कालीमिर्च मिलाकर कूट…
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पित्त-ज्वर

पित्त-ज्वर पुरानी इमली ढाई तोला और छुहारे 2 तोला लेकर १ किलो दूध में उबाल कर छान लें| इसे पीने से जलन तथा घबराहट दूर होती है | आक की जड़ के चूर्ण को ढाई रत्ती खाने से पसीना आकर बुखार उतर जाता है | नारंगी का गूदा निकाल कर उस पर शक्कर डालकर थोड़ा गरम कर लें | इसे खाने से बुखार तथा खाँसी ठीक होती है | पित्तपापड़े का क्वाथ पीने से पित्त ज्वर शान्त हो जाता है | गिलोय का हिम शक्कर डालकर पीने से पित्त-ज्वर ठीक हो जाता है | सूखे बेर तथा बेर की जड़…
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