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Tulsi Plant

Tulsi Plant

तुलसी नदिंनी, तुलसी जीवनी इसके पाठ से अष्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता हैं। ज्नजेप का दर्षाता हैं। तुलसी को अत्यन्त पूजन्य माना जाता हैं। श्सम्प्रादाय में तुलसी धी प्रिया के नाम से जानी जाती हैं। इन्हें वृन्दा भी पुकारा जाता हैं सभी धर्मस्थलो पर बनाने वाला चरणामृत तुलसी दल के पत्तो की बिना अधूरा हैं| तुलसी के प्रयोग से चरणामृत शुद्ध ही नहीं अपीतु अमृत तुल्य हो जाता हैं।तुलसी जी सभी मन्दिरों में व हिन्दू परिवारो में पायी जाती हैं | इसका पौधा 2-3 फीट तक उचा होता हैं इसके पत्तें अपनी उमकपबपदंस अंसनमे के कारण औष्धियों गुणों के…
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सिरदर्द-निवारक औषधियाँ

सिरदर्द-निवारक औषधियाँ देवदारु की लकड़ी जल में घिसकर दोनों कनपटियों पर करने से सिरदर्द दूर होता है | नौसादर और हल्दी को समान भाग लेकर महीन पीस लें, इसे सूँघने से सिरदर्द मिट जाता है | अदरक का रस और दूध समान भाग मिलाकर सूँघने से सिरदर्द जाता रहता है | मेहेंदी के पत्ते पानी या तेल में पीसकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द शान्त होती है| अकरकरा को जल में पीसकर गरम करके मस्तक पर लगाने से सिरदर्द शान्त हो जाता है | सफेद चन्दन और अनार के पत्ते जल में घिसकर मस्तक पर लेप करने से सिरदर्द मिट…
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मलेरिया-बुखार

मलेरिया-बुखार कालीमिर्च को तुसली के पत्तों के स्वरस में मिलाकर सात भावना देकर सुखा लें, फिर उसकी मटर के बराबर गोलियाँ बना लें | बुखार आने के 4 घंटे पूर्व 1-1 घंटे बाद चार गोलियाँ खाने से बुखार नहीं आता है | बुखार उतर जाने के बाद 11 कालीमिर्च चबाने से बुखार नहीं आता है | एक तोला गुड़ में 3 माशा काला जीरा मिलाकर दिन में चार बार खाने से मलेरिया ठीक हो जाता है | यह दवा दो-दो घंटे के अन्तर से दो-तीन खुराक देनी चाहिए | पाँच इंच लम्बा गिलोय का टुकड़ा और 15 कालीमिर्च मिलाकर कूट…
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पित्त-ज्वर

पित्त-ज्वर पुरानी इमली ढाई तोला और छुहारे 2 तोला लेकर १ किलो दूध में उबाल कर छान लें| इसे पीने से जलन तथा घबराहट दूर होती है | आक की जड़ के चूर्ण को ढाई रत्ती खाने से पसीना आकर बुखार उतर जाता है | नारंगी का गूदा निकाल कर उस पर शक्कर डालकर थोड़ा गरम कर लें | इसे खाने से बुखार तथा खाँसी ठीक होती है | पित्तपापड़े का क्वाथ पीने से पित्त ज्वर शान्त हो जाता है | गिलोय का हिम शक्कर डालकर पीने से पित्त-ज्वर ठीक हो जाता है | सूखे बेर तथा बेर की जड़…
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पित्तज सिरो-पीड़ा

पित्तज सिरो-पीड़ा पहिचान-रोगी का सिर आग की तरह जलने लगता है | नाक में भी दाह (जलन) हो-साथ ही, मस्तक में तेज-शूल सा दर्द हो, वह पित्त के कारण होने वाली मस्तक-पीड़ा होती है | उपचार पित्ज-सिरदर्द वाले रोगी को मिश्री, घी तथा मुलहठी को घोटकर सूँघना हितकर होता है | इमली को पानी में भिगोकर छान लें | इसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर पीने से मस्तक-पीड़ा शान्त हो जाती है | बकरी के दूध से मक्खन निकाल कर सिर में मालिश करने से गर्मी के कारण होने वाला सिर-दर्द दूर होता है | सिर को अच्छी तरह ठण्डे पानी से…
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पलकों के रोग-परवाल, रोहे

पलकों के रोग-परवाल, रोहे रोहे या कुकरे (ट्रैकोमा),  जीवाणु के कारण से होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह संक्रमण पलकों के भीतरी सतह पर खुरदुरापन पैदा करता है। इस खुरदुरेपन की वजह से आँखों में दर्द, आँखों के बाहरी सतह का टूटना और blindness हो सकती है। इसे ग्रैनुलर कंजक्टिवाइटिस एवं ब्‍लाइंडिंग ट्रैकोमा भी कहा जाता है। यह रोग जिस विषाणु की वजह से होता है वह प्रभावित व्‍यक्ति की आँखों या नाक के प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष संपर्क से फैल सकता है। यह रोग बड़ों की अपेक्षा बच्‍चों में अधिक होता है। गंदगी, भीड़भाड़ वाली रिहाइश एवं साफ़ पानी व ट्वायलेट की वजह से…
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नेत्रों की लाली

नेत्रों की लाली खून की नसों में सूजन या जलन की वजह से आंख के सफ़ेद हिस्से वाली सतह का लाल हो जाना. इसे आम तौर पर लाल आंख कहा जाता है| common causes of eye redness आंखें किसी बीमारी के अलावा और भी वजहों से लाल हो सकती हैं| आंखें मलना, नींद की कमी, लंबे समय तक स्क्रीन देखना, swimming pool ) या धुंए के संपर्क में आना इन वजहों में शामिल हैं| मुलहठी को पानी में पीसकर रुई भिगो लें | इसका फाहा नेत्रों पर बाँधने से नेत्रों की सुर्खी दूर जाती है | बबूल के कोमल पत्तों…
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सूजन

सूजन ढाक के गोंद को पानी में गलाकर लेप करने से चोट की सूजन ठीक हो जाती है | एलुए को चुने के पानी के साथ या गरम पानी के साथ पीसकर लेप करने से चोट और मोच की सूजन मिट जाती है | अफीम और अंडे की सफेदी मिलाकर लेप करने से हर तरह की सूजन मिट जाती है | अनार का छिलका और छुहारा को एक साथ पीसकर लेप करने से सूजन ठीक हो जाती है |      
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प्रसव-पीड़ा

                                     प्रसव पीड़ा   प्रसव पीड़ा का मतलब क्‍या होता है? गर्भ में पल रहे शिशु को और प्‍लेसेंटा को योनि के जरिये बाहर निकालने की प्रक्रिया को प्रसव (लेबर) कहा जाता है। जब  गर्भाशय शिशु को बाहर निकालने के लिए संकुचित होता है तो आपको दर्दभरे संकुचन महसूस होंते है। ये संकुचन ही प्रसव के दौरान दर्द का मुख्‍य कारण होते हैं। इसे प्रसव पीड़ा कहते हैं|   प्रसव पीड़ा कैसे पता करें? जब प्रसव शुरू होता है तब गर्भवती महिला  दर्द का अनुभव करने…
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