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सिर के समस्त रोगों का उपचार

 सिर के समस्त रोगों का उपचार चौलाई 2 तोला, सौंठ 1 और कालीमिर्च 6 माशा एक साथ मिलाकर पीस लें | इसका लेप करने से सिर-सम्बन्धी सभी रोग मिट जाते है | अदरक का रस, पीपल, सेंधा नमक तथा गुड़ को एक साथ घिस लें और पानी के साथ नस्य ( steam) दें | अरण्ड की जड़ और सौंठ को एक साथ कूट-पीसकर मस्तक पर लेप करने से सिर के रोग नष्ट हो जाते है |   पार्थ शिवानी
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वात-ज्वर

वात-ज्वर एक किलो पानी को इतनी देर तक उबालें की आधा पाव रह जाय | इसके सेवन करने से वात-ज्वर उतर जाता है | एक प्याज को 2-4 कालीमिर्च के साथ दिन में दो बार खाने से वात-ज्वर उतर जाता है | दो कालीमिर्च और 10 तुसली के पत्ते लेकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पकर ओढ़कर लेट जायँ, पसीना आकर कुछ देर बाद ही ज्वर उतर जायेगा | सौंठ, पीपरामूल और गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से वात-ज्वर नष्ट होता है |   पार्थ शिवानी
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नेत्र-स्त्राव (ढलका)

नेत्र-स्त्राव (ढलका) नेत्र स्राव क्या है? आंखों का स्राव आंखों से आंसू के अलावा तरल पदार्थ या अन्य पदार्थों का स्राव है। आँखों से स्राव कई प्रकार की स्थितियों के कारण हो सकता है जो सीधे आँखों को प्रभावित करती हैं या ऐसी स्थितियाँ जो पूरे शरीर को प्रभावित करती हैं, जैसे कि सामान्य सर्दी। आंखों का स्राव आमतौर पर एलर्जी या संक्रमण के कारण होता है। हालांकि आंखों से स्राव होने के अधिकांश कारण महत्वपूर्ण नहीं होते हैं, अगर आपको क्रोनिक या अत्यधिक नेत्र स्राव है, जैसे कि ऐसा स्राव जिससे आपकी आंखें खोलना मुश्किल हो जाता है| ज्यादातर…
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नेत्र-रोगों से रक्षा

नेत्र रोगों से रक्षा  तिल के ताजे 5 फूल प्रतिदिन प्रात:काल 10 दिन तक निगलें, तो पूरे वर्ष आँखें नहीं दुखेंगी | चैत्र के महीने में प्रतिवर्ष ‘गोरखमुण्डी’ के 5 या 7 ताजे फूल चबाकर पानी के साथ खाने से आँखों की ज्योति बढ़ती है | एक सप्ताह के बच्चे को बेलगिरी के बीच की मिंगी शहद में मिलाकर चटाने से जीवनभर आँखें नहीं दुखतीं | नीबू का एक बूँद रस महीने में एक बार आँखों में डालने से कभी आँखे नहीं दुखतीं | उपचार  देवदारु के चूर्ण को बकरी के मूत्र की भावना देकर, घी के साथ लेने से…
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नेत्र-रोग-नाशक उपाय 

                                                        नेत्र रोग नाशक उपाए         कारण खुले स्थान में अधिक देर तक स्नान करना, सूक्ष्म और दूर की वस्तु को बहुत देर तक देखना, रात में जागना और दिन में सोना, आँखों में धूल, धुँआ और मिट्टी पड़ जाना, धूप में गरम हुए पानी से मुँह धोना, पौष्टिक खाद्य का अभाव, चाय और वनस्पति-घी का उपयोग अधिक करना आदि कारणों से नेत्रों के रोग उत्पन्न होते हैं|      …
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नेत्र-ज्योति

                          नेत्र ज्योति  निर्मली के बीजों को ठण्डे पानी में लगाने से ज्योति बढ़ती है | प्रतिदिन रसौत का अंजन लगाने से दृष्टि तेज होती है | कालीमिर्च 1 माशा, छिली हुई हल्दी 3 माशा, गीली हरड़ का छिलका 2 माशा लेकर, गुलाबजल या पानी में घोंटकर आँखों में लगाने से ज्योति बढ़ती है | चमेली के फूलों की डंडी और मिश्री समान भाग लेकर खरल करके आँखों में लगाने से ज्योति तीव्र होती है | लाल चन्दन घिसकर कनपटी और आँखों के ऊपर लेप करने से भी…
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नकसीर या नाक से खून बहना 

                                      नकसीर या नाक से खून बहना  दाख और अंगूर के रस की नस्य देने से नाक की नकसीर बन्द हो जाती है | नीम के पत्ते और अजवायन को बारीक पीसकर कनपटियों पर लेप करें, नकसीर नहीं चलेगी | अफीम और गोदरु के गोंद को समान भाग लेकर पानी में पीस लें | इसे सूँघने से नकसीर बन्द हो जाती है | सूखे आँवलों को पानी में भिगो दें, नरम होने पर पीसकर टिकिया बना लें | इसे सिर के तालु…
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नहरूआ, बाला, नारू

नहरूआ, बाला, नारू सुहागे को गिलोय के रस में मिलाकर पीने से नारू-रोग मिट जाता है | 3 माशा भुने चने और 3 माशा हिंग को गुलाब के साथ पीसकर चूर्ण बना लें | साथ दिन तक दोनों समय सेवन करें, लोभा होगा | दस माशा शुद्ध सुहागा को गुलाब के तेल में मिलाकर तीन तक खाने से नारू गल जाता है | दवा खाने के बाद चिकनाई-युक्त खाना खायें | दही में कौलोंजी को बारीक पीसकर लेप करने से नारू-रोग मिट जाता है | चौलाई की जड़ पीसकर नारू पर बाँधने से नारू-रोग नष्ट हो जाता है | तेल…
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गर्भपात

गर्भपात • बार-बार गर्भ गिर जाता है तो कमर में चार अंगुल की धतूरे की जड़ बांधना हितकर है | • तीसरे महीने गर्भपात का भय हो तो-नागकेसर के चूर्ण में मिश्री मिलाकर दूध के साथ खाना लाभप्रद है | • गोपीचंदन का पेट पर लेप करने से गर्भ स्थिर हो जाता है | • समुन्द्रफल हल्दी के साथ सेवन करने से गर्भपात नहीं होता |
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रुधिर की अधिकता

रुधिर की अधिकता बिदारिकंद का चूर्ण-घी और शक्कर मिलाकर अवहेल बनाकर चाटने से रुधिर की अधिकता मिट जाती है | पारिजात के पोधे की 3-4 कोपलें और सात कालीमिर्च पीसकर पाने से अधिक रक्त आना रुक जाता है | झड़बेरी के पंचागं का काढ़ा बनाकर पीने से अधिक रक्त आना रुक जाता जाता है | मूली के बीजों का चूर्ण खाने से मासिक धर्म मिट जाता है | नागकेसर का चूर्ण की फंकी लगाने से अधिक रक्त निकलना बन्द हो जाता है| बबूल का भूना हुआ गोंद ओर गेरू साढ़े चार माशा लेकर पीस लें | प्रातःकाल चूर्ण खाने से…
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