AYURVEDA

अकरकरा

अकरकरा

अकरकरा के फायदे, उपयोग और नुकसान  Akarkara (Anacyclus pyrethrum) विश्वभर में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद मानी गई हैं। इनमें अश्वगंधा, अर्जुन की छाल और मुलेठी जैसे नाम शामिल हैं। वहीं एक और जड़ी-बूटी है, जिसे शरीर के लिए फायदेमंद माना गया है। इस जड़ी-बूटी का नाम है अकरकरा। यह कई औषधीय गुणों से समृद्ध होता है, जिस वजह से इसे सेहतमंद माना जाता है। यह किस तरह से स्वास्थ्य लाभ पहुंचा सकता है और शारीरिक समस्याओं से बचाने में मदद करता है| अकरकरा क्या होता  अकरकरा बारहमासी जड़ी-बूटी है, जो हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती…
Read More

गिलोय

गिलोय गिलोय की एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि। 'बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है। आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी…
Read More

देवदार

                                            देवदार एक सीधे तने वाला ऊँचा  शंकुधारी पेड़ है| जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है।  स्निग्ध देवदारु की लकड़ी और तेल दवा बनाने के काम में भी आते हैं। इसके अन्य नामों में देवदारु प्रसिद्ध है। यह निचले पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। पहाड़ी संस्कृति का अभिन्न अंग देवदार का वृक्ष सदा से कवियों तथा लेखकों का प्रेरणा स्रोत रहा है।देवदार के पत्ते हरे…
Read More

सिरदर्द-निवारक औषधियाँ

सिरदर्द-निवारक औषधियाँ देवदारु की लकड़ी जल में घिसकर दोनों कनपटियों पर करने से सिरदर्द दूर होता है | नौसादर और हल्दी को समान भाग लेकर महीन पीस लें, इसे सूँघने से सिरदर्द मिट जाता है | अदरक का रस और दूध समान भाग मिलाकर सूँघने से सिरदर्द जाता रहता है | मेहेंदी के पत्ते पानी या तेल में पीसकर मस्तक पर लगाने से सिरदर्द शान्त होती है| अकरकरा को जल में पीसकर गरम करके मस्तक पर लगाने से सिरदर्द शान्त हो जाता है | सफेद चन्दन और अनार के पत्ते जल में घिसकर मस्तक पर लेप करने से सिरदर्द मिट…
Read More

रतौंधी

रतौंधी पान का रस लगाने से रतौंधी और आँखों के सफेद भाग के रोग दूर हो जाते हैं| केले के पत्तों का रस नेत्रों में लगाने से रतौंधी मिटती है | हुक्के के नहचे का काला तेल नेत्रों में लगाने से रतौंधी दूर हो जाती है | दही के तोड़ में थूक मिलाकर नेत्रों में लगाने से रतौंधी दूर होती है | पुनर्नवा की जड़ को काँजी के पानी के साथ घिसकर नेत्रों में लगाने से आराम मिलता है | तुलसी के पत्तों का स्वरस दिन में तीन बार नेत्रों में डालने से रतौंधी में आराम मिलता है |  …
Read More

मलेरिया-बुखार

मलेरिया-बुखार कालीमिर्च को तुसली के पत्तों के स्वरस में मिलाकर सात भावना देकर सुखा लें, फिर उसकी मटर के बराबर गोलियाँ बना लें | बुखार आने के 4 घंटे पूर्व 1-1 घंटे बाद चार गोलियाँ खाने से बुखार नहीं आता है | बुखार उतर जाने के बाद 11 कालीमिर्च चबाने से बुखार नहीं आता है | एक तोला गुड़ में 3 माशा काला जीरा मिलाकर दिन में चार बार खाने से मलेरिया ठीक हो जाता है | यह दवा दो-दो घंटे के अन्तर से दो-तीन खुराक देनी चाहिए | पाँच इंच लम्बा गिलोय का टुकड़ा और 15 कालीमिर्च मिलाकर कूट…
Read More

पित्त-ज्वर

पित्त-ज्वर पुरानी इमली ढाई तोला और छुहारे 2 तोला लेकर १ किलो दूध में उबाल कर छान लें| इसे पीने से जलन तथा घबराहट दूर होती है | आक की जड़ के चूर्ण को ढाई रत्ती खाने से पसीना आकर बुखार उतर जाता है | नारंगी का गूदा निकाल कर उस पर शक्कर डालकर थोड़ा गरम कर लें | इसे खाने से बुखार तथा खाँसी ठीक होती है | पित्तपापड़े का क्वाथ पीने से पित्त ज्वर शान्त हो जाता है | गिलोय का हिम शक्कर डालकर पीने से पित्त-ज्वर ठीक हो जाता है | सूखे बेर तथा बेर की जड़…
Read More

पित्तज सिरो-पीड़ा

पित्तज सिरो-पीड़ा पहिचान-रोगी का सिर आग की तरह जलने लगता है | नाक में भी दाह (जलन) हो-साथ ही, मस्तक में तेज-शूल सा दर्द हो, वह पित्त के कारण होने वाली मस्तक-पीड़ा होती है | उपचार पित्ज-सिरदर्द वाले रोगी को मिश्री, घी तथा मुलहठी को घोटकर सूँघना हितकर होता है | इमली को पानी में भिगोकर छान लें | इसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर पीने से मस्तक-पीड़ा शान्त हो जाती है | बकरी के दूध से मक्खन निकाल कर सिर में मालिश करने से गर्मी के कारण होने वाला सिर-दर्द दूर होता है | सिर को अच्छी तरह ठण्डे पानी से…
Read More

पलकों के रोग-परवाल, रोहे

पलकों के रोग-परवाल, रोहे रोहे या कुकरे (ट्रैकोमा),  जीवाणु के कारण से होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह संक्रमण पलकों के भीतरी सतह पर खुरदुरापन पैदा करता है। इस खुरदुरेपन की वजह से आँखों में दर्द, आँखों के बाहरी सतह का टूटना और blindness हो सकती है। इसे ग्रैनुलर कंजक्टिवाइटिस एवं ब्‍लाइंडिंग ट्रैकोमा भी कहा जाता है। यह रोग जिस विषाणु की वजह से होता है वह प्रभावित व्‍यक्ति की आँखों या नाक के प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष संपर्क से फैल सकता है। यह रोग बड़ों की अपेक्षा बच्‍चों में अधिक होता है। गंदगी, भीड़भाड़ वाली रिहाइश एवं साफ़ पानी व ट्वायलेट की वजह से…
Read More

नेत्रों की लाली

नेत्रों की लाली खून की नसों में सूजन या जलन की वजह से आंख के सफ़ेद हिस्से वाली सतह का लाल हो जाना. इसे आम तौर पर लाल आंख कहा जाता है| common causes of eye redness आंखें किसी बीमारी के अलावा और भी वजहों से लाल हो सकती हैं| आंखें मलना, नींद की कमी, लंबे समय तक स्क्रीन देखना, swimming pool ) या धुंए के संपर्क में आना इन वजहों में शामिल हैं| मुलहठी को पानी में पीसकर रुई भिगो लें | इसका फाहा नेत्रों पर बाँधने से नेत्रों की सुर्खी दूर जाती है | बबूल के कोमल पत्तों…
Read More
No widgets found. Go to Widget page and add the widget in Offcanvas Sidebar Widget Area.