AYURVEDA

वमन (कै या उल्टी)

  वमन (कै या उल्टी) तीन माशा कुटकी के चूर्ण को 6 माशा शहद में मिलाकर खाने से उल्टी होना रुक जाता है | पानी में जायफल घिसकर पीने से वमन बन्द हो जाती है | मुलहठी तथा लालचन्दन दूध में घिसकर पीने से वमन होना रुक जाता है | कालानमक, सफेदजीरा, मिश्री तथा कालीमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें | इस 2-3 माशा चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से हर प्रकार की उल्टियाँ बन्द हो जाती है | सूखी मौलश्री की छाल आग में जलाकर एक गिलास पानी में डाल दें | यह पानी छानकर…
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मासिक-धर्म की अनियमितता

मासिक-धर्म की अनियमितता मासिक धर्म चक्र 21 दिनों से लेकर 35 दिन तक का होता है। जब इस अंतराल से पहले या बाद पीरियड्स आते हैं तो मासिक धर्म चक्र में अनियमितता हो जाती है। इसे हम अनियमित माहवारी (Irregular Periods) कहते हैं। पीरियड्स का नहीं आना भी अनियमितता ही कहलाता है| इससे काफी परेशानी का सामना करना पड़ जाता है| इसकी अनियमिता को दूर करने के लिए हम कुछ होम रेमीडी बता रहे है| मासिक-धर्म की अनियमितता को दूर करने के तरीके पाँच रति से डेढ़ माशा तक कलौंजी के चूर्ण की फंकी लेने से तकलीफ प्रद मासिक धर्म ठीक…
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प्रसव-पीड़ा

                                     प्रसव पीड़ा   प्रसव पीड़ा का मतलब क्‍या होता है? गर्भ में पल रहे शिशु को और प्‍लेसेंटा को योनि के जरिये बाहर निकालने की प्रक्रिया को प्रसव (लेबर) कहा जाता है। जब  गर्भाशय शिशु को बाहर निकालने के लिए संकुचित होता है तो आपको दर्दभरे संकुचन महसूस होंते है। ये संकुचन ही प्रसव के दौरान दर्द का मुख्‍य कारण होते हैं। इसे प्रसव पीड़ा कहते हैं|   प्रसव पीड़ा कैसे पता करें? जब प्रसव शुरू होता है तब गर्भवती महिला  दर्द का अनुभव करने…
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 वात-ज्वर

वात-ज्वर • एक किलो पानी को इतनी देर तक उबालें कि आधा पाव रह जाय। इसके सेवन करने से वात-ज्वर उतर जाता है। • एक प्याज को 2-4 कालीमिर्च के साथ दिन में दो बार खाने से वात-ज्वर उतर जाता है। • दो कालीमिर्च और 10 तुलसी के पत्ते लेकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम पीकर ओढ़कर लेट जायँ, पसीना आकर कुछ देर बाद ही ज्वर उतर       जायेगा। • सोंठ, पीपरामूल और लिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से वात-ज्वर नष्ट होता है। parth shivani
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पित्त-ज्वर

पित्त-ज्वर •    पुरानी इमली ढाई तोला और छुहारे 2 तोला लेकर 1 किलो दूध में उबाल कर छान लें। इसे पीने से जलन तथा घबराहट दूर होती है। •    आक की जड़ के चूर्ण को ढाई रत्ती खाने से पसीना आकर बुखार उतर जाता है। •    नारंगी का गुदा निकाल कर उस पर शक़्कर डालकर थोड़ा गरम कर लें। इसे खाने से बुखार तथा खाँसी ठीक होती है। •    पित्तपापड़े का क्वाथ पीने से पित्त ज्वर शान्त हो जाता है। •   गिलोय का हिम शक़्कर डालकर पीने से पित्त-ज्वर ठीक हो जाता है। •   सूखे बेर…
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ACIDITY

                                                 आयुर्वेद के जरिए निपटिए हाइपर एसिडिटी से   आयुर्वेद के जरिए निपटिए हाइपर एसिडिटी से  देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोये रहना, बीड़ी-सिगरेट, तम्बाकू, चाय-काफी तथा फास्टफूड का बेहिसाब सेवन आधुनिक जीवन शैली के अंग हैं| जिस कारण हम कई रोगों के शिकार हो जाते हैं। हाइपर एसिडिटी या अम्लपित्त वर्तमान समय में सबसे अधिक पाए जाने वाले रोगों में से एक है, तो दोषपूर्ण जीवन शैली की उपज होता है। आज के दौर…
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सर्दी में कानों में कुलबुहाट

सर्दी में कानों में कुलबुहाट कभी-कभी और सर्दियों में तो प्रायः कानों में भनभनाहट और सिटी बजने जैसी ध्वनि गूंजने लगती है। कानों में उत्पन्न होने वाली कुलबुलहट को दूर करने हेतु| सरसों के तेल में लहसुन की एक कली भून कर उस तेल की 2 3 बुँदे कान में टपकाये। प्याज के रस को थोड़ा सा गर्म करके कानों में टपकाये। 4 5 बूंदें। गुड़ को घी में मिला कर गरम करके भोजन के साथ लेने से लाभ होगा। तुलसी के पत्तों के पत्तों का रस गरम करके दो-तीन बूंदे निरन्तर 3-4 दिनों तक कानों में डालें। यदि कान…
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मिर्गी अपस्मार नाशक औषधियाँ

मिर्गी अपस्मार नाशक औषधियाँ 1. अगस्त वृक्ष के पत्ते और कालीमिर्च को गाय के मूत्र के साथ पीसकर नाक सूँघने से मिर्गी रोग शीघ्र ही मिट जाता है। 2. बाँझ ककोड़ा की जड़ के रस में घी तथा शक्कर मिलाकर सूँघने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है। 3. कोहली, ब्राही, शंखपुष्पी, साँठी, तुलसी और शहद मिलाकर पीने से मिर्गी आना रुक जाता है। 4. अपस्मार मिटाने के लिए घतूरे के पत्तों का रस रोग की तीव्रता के अनुसार देना चाहिए। 5. आक की जड़ की छाल को बकरी के दूध में घिसकर नाक में टपकाने से मिर्गी रोग नष्ट…
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आयुर्वेद के जरिए निपटिए हाइपर एसिडिटी से

आयुर्वेद के जरिए निपटिए हाइपर एसिडिटी से देर रात तक जागना, सुबह देर तक सोये रहना, बीड़ी-सिगरेट, तम्बाकू, चाय-काफी तथा फास्टफूड का बेहिसाब सेवन आधुनिक जीवन शैली के अंग हैं, जिस कारण हम कई रोगों के शिकार हो जाते हैं। हाइपर एसिडिटी या अम्लपित्त वर्तमान समय में सबसे अधिक पाए जाने वाले रोगों में से एक है, तो दोषपूर्ण जीवन शैली की उपज होता है। आज के दौर में लगभग 70 प्रतिशत लोग इसी रोग से पीड़ीत हैं। हमारे शरीर में उपस्थित पित्त में अम्लता का गुण आने के कारण यह रोग उत्पन्न होता है। आयुर्वेद के अनुसार पित्त में…
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ajwain (carom seeds)

ajwain (carom seeds)

अजवाइन (carom seeds) अजवाइन हमारे देश् के लगभाग प्रत्येक प्रान्त में पायी जाती हैं। इसकी खेती काफी अधिक की जाती हैं। इसके काफी मोटे-मोटे गुद्वा वाले पत्ते होते हैं। दूर से धनिये के बडे पत्तें लगतें हैं। परंतु इसके पत्तें चारो ओर से काटेंदार होते हैं। बिना ज्यादा पानी के भी यह पौधा चल जाता हैं इसका plant  केवल 1 से 3 फीट तक होता हैं। इसका  एक bitter pungent taste  होता हैं। इसकोancient  time से ही एकayurvedic medicine की तरह प्रयोग में लाया जाता हैं। यह हम सभी रसोई के मसालो shelves में मिल जाएगी। यह केवल अपने स्वाद…
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