पित्त-ज्वर
• पुरानी इमली ढाई तोला और छुहारे 2 तोला लेकर 1 किलो दूध में उबाल कर छान लें। इसे पीने से जलन तथा घबराहट दूर होती है।
• आक की जड़ के चूर्ण को ढाई रत्ती खाने से पसीना आकर बुखार उतर जाता है।
• नारंगी का गुदा निकाल कर उस पर शक़्कर डालकर थोड़ा गरम कर लें। इसे खाने से बुखार तथा खाँसी ठीक होती है।
• पित्तपापड़े का क्वाथ पीने से पित्त ज्वर शान्त हो जाता है।
• गिलोय का हिम शक़्कर डालकर पीने से पित्त-ज्वर ठीक हो जाता है।
• सूखे बेर तथा बेर की जड़ को पानी में उबाल कर पीने से पित्त-ज्वर ठीक हो जाता है।
• मूँग और मुलहठी का जूस बनाकर पीने से पित्त-ज्वर ठीक हो जाता है।
• एक लीटर जल को इतनी देर उबालें कि 750 मि.लि. रह जाय। यह जल (ठण्डा होने पर) पीने से पित्त-ज्वर टूट जाता है।
• नीबू के साथ नागदोन खाने से पित्त-ज्वर उतर जाता है।
• इन्द्रायण की जड़ की छाल का चूर्ण एक रत्ती को शक़्कर में मिलाकर खाने से बुखार उतर जाता है।
• गुड़हल का शर्बत पीने से बुखार की गर्मी दूर होती है।
• तुलसी के पत्तों का शर्बत पीने से घबराहट दूर हो जाती है।
• शहतूत का रस या उसका शर्बत पिलाने से प्यास, गर्मी तथा घबराहट दूर हो जाती है।
• पोदीने का शर्बत बनाकर पीने से बुखार की गर्मी तथा घबराहट दूर होती है।
• खिरेंटी का हिम बनाकर पीने से बुखार की गर्मी शान्त हो जाती है।
• बुखार के समय यदि पेट में जलन हो तो सफेद चंदन पानी में घिसकर दो-ढाई तोला नाभि में तथा पेट पर डालना चाहिए।
• यदि बुखार के कारण सारे शरीर में जलन हो तो नाभि पर काँसे की कटोरी रखकर एक फुट ऊँचे से पानी की धारा डालने से 10 मिनट में आराम मिलता है।
पार्थ शिवानी