नेत्र-रोगों से रक्षा

नेत्र रोगों से रक्षा 

  • तिल के ताजे 5 फूल प्रतिदिन प्रात:काल 10 दिन तक निगलें, तो पूरे वर्ष आँखें नहीं दुखेंगी |
  • चैत्र के महीने में प्रतिवर्ष ‘गोरखमुण्डी’ के 5 या 7 ताजे फूल चबाकर पानी के साथ खाने से आँखों की ज्योति बढ़ती है |
  • एक सप्ताह के बच्चे को बेलगिरी के बीच की मिंगी शहद में मिलाकर चटाने से जीवनभर आँखें नहीं दुखतीं |
  • नीबू का एक बूँद रस महीने में एक बार आँखों में डालने से कभी आँखे नहीं दुखतीं |

उपचार 

  • देवदारु के चूर्ण को बकरी के मूत्र की भावना देकर, घी के साथ लेने से आँखों के सभी रोग दूर होते है |
  • तिल के फूलों पर जो ओस इकट्ठी होती है, उसे इंजेक्शन के द्वारा एकत्रित करके साफ शीशी में रख लें, इसे आँखों में डालने से नेत्रों के सभी विकार दूर होते हैं |
  • नीम के हरे पत्तों को साफ करके एक सम्पुट में रख दें, ऊपर से एक कपड़ा ढंककर मिट्टी लगा दें तथा आग पर रख दें | जब पत्तियाँ बिल्कुल राख हो जाये, तब उन्हें निकालकर, नीबू के रस में मिलाकर आँखों में लगाने से खुजली, जलन आदि दूर होती है |
  • एक भाग पीपल और दो भाग बड़ी हरड़ को पानी में घिसकर बत्ती बनाकर, आँखों में लगाने से सभी रोग दूर होते हैं |
  • गोरखमुण्डी की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें, उसी मात्रा में शक्कर मिलाकर 7 ग्राम गाय के दूध के साथ पीने से आँखों के अनेक विकार दूर होते हैं |
  • त्रिफला को 4 घंटे पानी में भिगो दें और छानकर वही पानी आँखों अं डालने से आँखों के सभी रोग दूर होते हैं |

पार्थ शिवानी

By Shivani

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