पित्तज सिरो-पीड़ा
पित्तज सिरो-पीड़ा पहिचान-रोगी का सिर आग की तरह जलने लगता है | नाक में भी दाह (जलन) हो-साथ ही, मस्तक में तेज-शूल सा दर्द हो, वह पित्त के कारण होने वाली मस्तक-पीड़ा होती है | उपचार पित्ज-सिरदर्द वाले रोगी को मिश्री, घी तथा मुलहठी को घोटकर सूँघना हितकर होता है | इमली को पानी में भिगोकर छान लें | इसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर पीने से मस्तक-पीड़ा शान्त हो जाती है | बकरी के दूध से मक्खन निकाल कर सिर में मालिश करने से गर्मी के कारण होने वाला सिर-दर्द दूर होता है | सिर को अच्छी तरह ठण्डे पानी से…