गिलोय
बेल के काण्ड की ऊपरी छाल बहुत पतली, भूरे या धूसर वर्ण की होती है, जिसे हटा देने पर भीतर का हरित मांसल भाग दिखाई देने लगता है। काटने पर अन्तर्भाग चक्राकार दिखाई पड़ता है। पत्ते हृदय के आकार के, खाने के पान जैसे एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। ये लगभग 2 से 4 इंच तक व्यास के होते हैं। स्निग्ध होते हैं तथा इनमें 7 से 9 नाड़ियाँ होती हैं। पत्र-डण्ठल लगभग 1 से 3 इंच लम्बा होता है। फूल ग्रीष्म ऋतु में छोटे-छोटे पीले रंग के गुच्छों में आते हैं। फल भी गुच्छों में ही लगते हैं तथा छोटे मटर के आकार के होते हैं। पकने पर ये रक्त के समान लाल हो जाते हैं। बीज सफेद, चिकने, कुछ टेढ़े, मिर्च के दानों के समान होते हैं। उपयोगी अंग काण्ड है। पत्ते भी प्रयुक्त होते हैं।
ताजे काण्ड की छाल हरे रंग की तथा गूदेदार होती है। उसकी बाहरी त्वचा हल्के भूरे रंग की होती है तथा पतली, कागज के पत्तों के रूप में छूटती है। स्थान-स्थान पर गाँठ के समान उभार पाए जाते हैं। सूखने पर यही काण्ड पतला हो जाता है। सूखे काण्ड के छोटे-बड़े टुकड़े बाजार में पाए जाते हैं, जो बेलनाकार लगभग 1 इंच व्यास के होते हैं। इन पर से छाल काष्ठीय भाग से आसानी से पृथक् की जा सकती है। स्वाद में यह तीखी होती है, पर गन्ध कोई विशेष नहीं होती। पहचान के लिए एक साधारण-सा परीक्षण यह है कि इसके क्वाथ में जब आयोडीन का घोल डाला जाता है तो गहरा नीला रंग हो जाता है। यह इसमें स्टार्च की उपस्थिति का परिचायक है। सामान्यतः इसमें मिलावट कम ही होती है, पर सही पहचान अनिवार्य है। कन्द गुडूची व एक असामी प्रजाति इसकी अन्य जातियों की औषधियाँ हैं, जिनके गुण अलग-अलग होते हैं।
गिलोय के फायेदे
गिलोय एक दिव्य रसायन है | इसीलिये इसे अमृता भी कहा जाता है| वनस्पति वैज्ञानिकों का कहना है की गिलोय की बेल जिस भी वृक्ष पर फैलती है अन्दर समाहित कर लेती है | नीम के वृक्ष पर चढी हुई गिलोय की बेल(Giloy Plant) में चमत्कारिक ओषधीय गुण आ जाते है | इसलिए नीम के वृक्ष पर चढी हुई गिलोय को सर्वे श्रेष्ठ गिलोय कहा जाता है |अतः नीमगिलोय सर्वोत्तम होती है
गिलोय को आचार्य चाणक्य ओषधियो का राजा कहते है |
note
काण्ड meaning is stem
spiritual thought about giloy
कहा जाता है कि जब देवताओ और असुरो मे अमृत को लेकर युध हुआ तब अमृत कलश से एक बूँद अमृत की गिर गई थी तब उसी जगह पर पहला गिलोय का पोधा उगा | गिलोय की तुलना अमृत से की जाती है|
पार्थ शिवानी