बच्चों को पानी वाला दूध पिलाने से हानि होती है। उससे हाथ-पांव पतले और पेट बड़ा होता है। इसके लिए आवश्यक है, कि दूध पानी समान भाग में लेकर दूध को उबाल लें। उबाल से पानी उड़ जाये तो शेष दूध बच्चों को पिलाएं।
जिस बालक की माँ नहीं है। उसे प्रतिदिन हरड़ घिस कर पिलानी चाहिए। हरड़ को आयुर्वेद में माँ कह कर पुकारा गया है।
यदि माँ सुवा, खोपरा, खसखस चबाते-चबाते झाड़ लगाएं और घर का काम करती रहे तो उसके स्तनों में दूध की प्याप्त मात्रा आयेगी और वह दूध निश्चत ही बच्चों को हष्ट-पुष्ट रखेगा।
गर्भवती शिशु को सशक्त बनाने हेतु।
गर्भवती महिला को मूंगफल को सेक कर उसका चूर्ण बनाकर दूध में मिला कर सुबह शाम देने से तो शिशु निर्बल नहीं होगा।