नेवला और किसान
एक गाँव मे%एक गाँव में किसान रहता था। वह काफी दयालु था। वह खेतो में काम करता था कभी-कभी उसे जगंल में भी काम करना पडता था। एक बार जगंल से आते समय उसकी नजर उक छोटे से नेवले पर पडी उसकी माँ नहीं थी। अब नेवला उस किसान के पीछे-पीछे चलने लगा अब तो क्या था वह तो घर तक आ गया। किसान ने काफी कोशिश कि की वो अपने जगंल में वापिस चला जाएं परन्तु वो टस से मस न हुआ।
किसान सोचने लगा चलो कल इसे जगंल में छोड आउगाँ छोटा सा तो हैं ही किसी को क्या परेशानी होगी। अब रात बीत गयी फिर सुबह वह उसे ले जाने लगा तो वो नेवला अपनी जगह से हिला भी नहीं।
फिर किसान को लगा चलो पडा रहने दो घर में, मैं भी अकेला जब यह बड़ा होगा तो यह खुद से ही यहा से चला जायेगा| फिर तो बस उसकी और किसान की पटने लगी| किसान भी सोचता शायद इसका और मेरा पिछले जन्म का रिश्ता ही होगा तभी यह मेरे साथ है| अब कुछ दिनों में नेवला बड़ा होगया उसकी पुंछ बहुत ही सुंदर थी| सुनहरे रंग की किसान की बुआ दूसरे गाओ से उसके यह रहने आयी और उसके लिए सुंदर व् सुशिल दुल्हन का रिश्ता लायी | बस फिर तो जो चट मंगनी पट शादी हो गयी| घर में मंगल-गान गाये जाने लगे | ढोल पर नाच गाने होने लगे लड्डू बटे सभी बहुत थे| गांव वाले भी आनद में थे और ढेरो आशीर्वाद देने लगे|
परन्तु सुशिला किसान की पत्नी ने जैसे ही नेवले क देखा तो वो डर गयी कहने लगी सुनो जी घर में नेवला घुस गया है किसान हसने लगा बोला वो भी इसी घर का सदश्य है| वो हैरानी वाली नजरो से किसान की ओर देखने लगी और आश्चर्य से बोली क्या किसान ने कहा हां भई हाँ |
परन्तु सुशीला खुश न थी उसे डर लग रहा था धीरे – धीरे वो उससे परिचित तो हो रही थी परन्तु उसे दिल ही दिल में डर लगा रहता था|
कुछ समय के बाद उनके घर में बच्चे की किलकारी सुनाई देने लगी | छोटे बच्चे के पालने के पास ही वह नेवला बैठा रहता था किसी को उसके पास फटकने नहीं देता था | सुशिला को भी लगा की चलो मै लेने कुऐ तक जाती हूँ तो यह ख्याल बालक भी नेवले को देखकर खुश रहता|
एक दिन किसान किसी काम से गया हुआ था तभी बिल में से एक कला जहरीला नाग आ गया और सोते हुए बालक के पलने की तरफ चला गया वही पालने के पास नेवला बालक की पहरेदारी कर रहा था| जैसे ही सांप फुंकार भरता हुआ सोते हुए बालक के पास आया तो नेवले ने झपटा मारा फिर धीरे-धीरे लड़ाई शुरू हो गयी लड़ाई | लड़ाई में साप की हार हुई और नेवला जीत गया|
सारे फर्श पर सांप का खून ही खून था नेवले भी काफी जख्मी हो गया था उसके मुख पर सांप का खून लगा हुआ था नेवला अध्मरा सा हो गया तो दरबाजे पर जाकर बैठ गया और सुशीला की राह देख रहा था जैसे ही सुशीला घर के दरबाजे पर घुसी तो बोली हाय राम मैने पहले ही लला के बापू को बोला था कि एक दिन मेरे लला को निगल जायेगा और वैसे ही हुआ अब मै क्या करू और उसने पानी से भरी मटकी अधमरे से नेवले के सिर् पर दे मर दी और नेवला भी वही मर गया चारो ओर खून ही खून हो गया
भागती हुई सुशीला अपने लला के पलने की ओर गयी तो देखा क्या लला तो आराम से सो रहा था और पलने के पास मरा कला सांप पड़ा हुआ था सुशीला को अपनी भूल का एहसास हुआ वह दौड़कर नेवले के पास आयी और नेवले को गोद में उठाकर जोर जोर से रोने लगी थोड़ी देर बाद ही किसान भी आ गया और घबरा गया की ये क्या हो गया सुशीला ने पूरी बात बताई तब किसान सिर पकड़ कर बैठ गया और बोलै अब रोने से की फायदा अपना काम सोच समझ कर करना चाहिए|
बिना बिचारे जो करे,
सो पाछे पछताए.
काम बिगड़े अपनो,
जग में होत हसएं |