भोजन में जहर मिला रहे है एल्युम्लियम के बर्तन

                      भोजन में जहर मिला रहे है एल्युम्लियम के बर्तन

 

घर परिबार लिया भोजन बनाने में व्यस्त रहने वाली महिलाओ में जयादातर शायद यह नहीं जानती है कि भोजन तैयार करने के लिए वे जिन बर्तनो का उपयोग क्र रही है उसके माध्यम से परिवार के सदस्यों को अल्पमात्रा में विषैले पदार्थ परोस रही है द्य पंजाब कृषि विश्व विधालय के पारिवारिक संसाधन प्रबंधन विभाग के शोधकर्ताओं ने विभिन्न प्रकार के पात्रो में तैयार किये जा रहे भोजन से लोगों को मिल रहे मीठे जहर के संबंध में नवीनतम जानकारी दी है द्य इन बर्तनों में तैयार किए जा रहे भोजन में मिलाकर अनेक प्रकार के हानिकारक धातु हमारे शरीर में पहुंच जाते है जो स्वाथ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है शोधकर्ता रूपा बक्षीए मंदिर सिद्धू और पुष्पंदर संधू ने अपने अध्ययन में कहा है कि अधिकतर लोग सस्ता और हल्का होने के कारण एल्युमिनियम के बर्तन में खाना बनाते है द्य प्रयोग में यह देखा गया है कि इस तरह के बर्तन में खाना बनाने से भोज्य पदार्थ में एल्युमिनियम मिल जाता है द्य ऐसा ज्यादा देर तक भोजन को पकने या उसे अधिक समय तक रखने से होता है द्य इस तरह के बर्तन में अम्लीय वस्तुओ विशेषकर टमाटर और अन्य खट्टे भोज्य पदार्थो को पकने के दौरान उसमे एल्युमिनियम की च्यादा मात्रा मिल जाती है द्य अध्यन में कहा गया है कि एल्युमिनियम के बर्तनो को अच्छी स्थिति में रखना चाहिए मक से कम समय में उसमे भोजन पकाना चाहिए और उसमे अम्लीय वस्तुओ को तैयार करने तथा भंडारण से परहेज करना चाहिए द्य अध्यन में कहा गया है कि एल्युमिनियम के बर्तन में भोजन पकने के दौरान भोजन में एल्युमिनियम की मात्रा तीन गुना बढ़ जाती है द्य इसके साथ ही इसमें क्रोमियम ए शीशाए क्रोमियम और निकेल की मात्रा भी मिल जाती है द्य शोधकर्ताओं ने कहा है कि एनोडाइज एल्युमिनियम के बने बर्तन तप के अच्छे संवाहक होने के साथ ही कठोर ए मजबूतए खंरोज प्रतिरोधी और साफ करने में आसान होते है द्य इस तरह के बर्तन में खाना पकने से भोजन में कम मात्रा में एल्युमिनियम मिलता है द्य
शोधकर्ता बक्षीए सिद्ध संधू ने कहा हैं कि लोह के बर्तन में खाना बनाने को लोग प्रमुखता देते है द्य ये मजबूत और समान रूप से गर्म होते है द्य इन बर्तनो में खाना बनाने से भोजन में लोहे की मात्रा मिलती है लेकिन ज्यादा मात्रा में लोहे मात्रा मिलाने से भोजन विषैला हो सकता है द्य शोधकर्ता ने कहा हैं कि ऐसे बर्तनो में नमक विहीन खाध तेल की परत चढ़ाई जनि चाहिए ताकि उसमे जंग न लगे द्य इसके साथ ही इसे अच्छी किस्म के डिटजेंट से और ज्यादा रगडकर नहीे धोना चाहिए। शोधकर्ताओं ने कहा हैं कि स्टैंनलैस स्टील के बर्तन को लोग साफ दिखने, मजबूत होने और ज्यादा दिनों तक चलने के कारण इसे भोजन के लिए सुरक्षित मानते हैं लेकिन स्टील से भी लोहा, निकेल और क्रोमियम निकलता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता हैं। निकेल बहुत कम मात्रा में सुरक्षित है लेकिन इससे एलर्जी भी हो सकती है। इस तरह के बर्तन में भी अम्लीय भोजन तैयार करने तथा उसे देर तक रखने में परहेज करना चाहिए। कुछ लोग खाना बनाने और रखने के लिए ताम्बे के बर्तनों का भी उपयोग करते हैं।लेकिन ताम्बे के सीधे भोजन से मिलने से रोकने के लिए उसमें मामूली मात्रा में कुछ अन्य धातुओं की परत चढाई जाती हैं। इस तरह के बर्तन में अगर ज्यादा देर तक भोजन पकाया या भंडार किया जाता हैं। तो विशेषकर सब्जियों में विषैले तत्व मिल जाते हैं। आधुनिक रसोईघर में स्वास्थ्य के लिए निरापद माने जा रहे नानस्टिक बर्तन में तैयार किए जा रहे भोजन में भी एल्युमीनियम, क्रोमियम और केडमियम की मात्रा से अधिक मात्रा में भोजन में विषैले तत्वों से बचने के लिए डेयरी उत्पाद, अनाजों, दालों, चाय, काफी, गैर शाकाहारी पदार्थो और तेल से बचना चाहिए। इस विशेष भोजन को एक माह के अंतराल के बाद दो से तीन दिनों तक लिया जा सकता हैं।

 

 

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By Shivani

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