रक्त-विकार और चर्म-रोग

दाद

  • इमली के बीज नीबू के रस में घिसकर लगाने से दाद मिट जाते है।
  • नारंगी की पुल्टिश बनाकर बाँधने से दाद ठीक हो जाता है।
  • परसपीपली के फल का रस लेप करने से दाद मिटता है।
  • नीबू-रस में सुहागा घिसकर लगाने से दाद ठीक होता है।
  • तुलसी के पत्तों का रस लगाने से दाद और अन्य चर्म रोग मिट जाते है।
  • दही में बेर के पत्ते पीसकर लगाने से दाद मिटता है।
  • 50 ग्राम माजूफल का चूर्ण, छः ग्राम इमली की छाल की भस्म और 3 ग्राम कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से दाद मिट जाता है।
  • विसानी के पत्ते बारीक पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
  • पुराना चूना और तिली का तेल मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
  • वक बोतल मिटटी के तेल में आँवलासार-गन्धक चार पैसेभर डालकर बोतल को वक महीने तक धूप में रखी रहने दें। फिर रुई से यह तेल लगाने से दाद में बहुत जल्दी आराम होता है।
  • सौ ग्राम नारियल के तेल में 20 ग्राम कपूर मिलाकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
  • कटहल के गरम पत्तों को पीसकर लगाने से एकिज्मा ठीक हो जाता है।
  • सरसों के तेल 250 ग्राम को आग पर चढ़ा दें। उबलने लगे, तब उसमें 50 ग्राम नीम की कोपलें डाल दें। जब कोपलें काली पड़ने लगें, तब उतारकर छान लें। इसे लगाने से कुछ ही दिन में ऐकिजमा ठीक हो जाता है।
  • पोस्टकार्ड को जलाकर राख बना लें।, सरसों के तेल में मिलाकर दाद पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
  • नीम के पत्तों को दही में पीसकर लगाने से दाद जड़ से नष्ट हो जाता है।

खुजली

  • दूध का रस लगाने से खुजली मिट जाती है।
  • पीपल के वृक्ष की छाल का क्वाथ बनाकर पीने से खुजली ठीक हो जाती है।
  • नागदोन और शक़्कर मिलाकर खाने से खुजली मिटती है।
  • पित्तपापड़े का अर्क या अवलेह बनाकर खाने से खुजली तथा अन्य चर्म-रोग मिट जाते है।
  • प्याज कुचलकर लगाने से दाद और अन्य चर्म रोग ठीक हो जाते है।
  • चमेली के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
  • ब्रह्दण्डी और मजीठ का चूर्ण मिलाकर 6 माशा की मात्रा में दिन में दो बार पानी के साथ खाने से खुजली मिट जाती है।
  • भैंस के दही में सेमर का गोंद मिलाकर लगाने से खुजली में शीघ्र आराम होता है।
  • सरसों के तेल में लहसुन जलाकर उसी तेल की मालिश करने से खुजली तथा अन्य चर्म-रोग मिट जाते है।
  • अनार के पत्ते बारीक पीसकर उसमें तेल मिलाकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
  • बरगद के पीले पत्तों की राख तिल के तेल में मिलाकर लगाने से खुजली ठीक हो जाती है।
  • पीपल के छाल की राख और चूना मक्खन में मिलाकर लगाने से खुजली मिट जाती है।
  • नीम अथका पीपल की छाल पानी में घिसकर लगाने से खुजली मिट जाती है।
  • नीम के पत्ते जलाकर तेल में मिलाकर लगाने से खुजली में आराम होता है।
  • फोड़ा-फुन्सी पर घरेलू योग
  • छः महीने तक रात को सोते समय दूध या पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें। भोजन में नमक का प्रयोग कम करें, केवल दूध और रोटी अथवा दूध से बने पदार्थ खाने से कम वर्ष तक फोड़े-फुन्सीयाँ नहीं निकलते है।
  • सुआर की चर्बी की मालिश करके गरम पानी से नाहने से काफी समय तक फोड़े-फुन्सी नहीं निकलते।
  • फोड़े-फुन्सियों पर लाल चन्दन का लेप करने से रोग को शीघ्र आराम मिलता है।
  • सूखे आँवले को जलाकर व पीसकर शुद्ध घी में मिला लें। इसे लगाने से फोड़े-फुन्सी ठीक हो जाते है।
  • बीस ग्राम देशी मोम को एक पाव तिली के तेल में मिलाकर लगाने से फोड़ा-फुन्सी मिट जाते है।
  • थूहर का दूध लगाने से फोड़े-फुन्सियाँ को धोने से लाभ होता है।
  • सुहागे के से फोड़े-फुन्सियों को धोने से लाभ होता है।
  • सत्यनाशी के बीज ठण्डे पानी में पीसकर लेप करने से खुजली व फोड़ा-फुन्सी में आराम होता है।
  • पुराने चूने को छानकर तेल या घी में पीसकर लेप करने से फोड़ा-फुन्सी व सूजन दूर होती है।
  • नीम के पत्ते, केकड़ा के पत्ते, शीशम के पत्ते और अजवायन को तवे पर जलाकर इनकी भस्म में छोटी इलाइची और मिलाकर लगाने से फोड़े-फुन्सी ठीक हो जाते है।
  • अलसी के तेल की मालिश करने से फोड़े-फुन्सी शीघ्र पककर ठीक हो जाते है।
  • घाव नागकेसर का तेल घाव पर लगाते रहने से घाव शीघ्र भर जाता है।
  • धावड़े के फूल घाव पर लगाने से घवा भर जाता है।
  • आक के सूखे पत्तों का चूर्ण बुरकने से घाव भर जाता है।
  • घुइयाँ (अरुई) के पत्तों (कोमल) का रस निकालकर लगाने और पीने से घाव शीघ्र भर जाते है।
  • लौकी के पत्ते पीसकर लगाने से कटा हुआ स्थान और घाव भर जाता है।
  • शहद लगाने से घाव शुद्ध होकर भरते है।
  • अरहर के कोमल पत्ते पीसकर लगाने से घाव भर जाता है।
  • पाँच तोला सरसों का तेल गरम करके उसमे आधा तोला सिंदूर और डेढ़ तोला अफीम डालें। जब तेल उबल जाय, तब उतार कर छान लें तथा डिब्बे में भरकर 12 घंटे तक पानी में रखें। इसे लगाने से बड़े-बड़े घाव भर जाते है।
  • घाव से बहते हुए रक्त को रोकने से लिए दूब को पीसकर लगाना चाहिए।
  • लकड़ी के कोयला को महीन पीसकर कपड़छन करके घाव पर बुरकने से रक्त बहना बंद हो जाता है।
  • सुहागे को पानी में घोल लें। फिर उसमें कपड़ा भिगोकर घाव पर बाँधें तो रक्त-स्त्राव रुक जाता है।
  • नासूर
  • त्रिफला के चूर्ण में मोंगरे का रस डालकर बारीक पीस लें। इसकी बड़े बेर के आकार की गोलियाँ बना लें। दिन में तीन बार दो-दो गोलियाँ खाने से नासूर मिट जाता है।
  • इस औषध के साथ-साथ कोई मलहम भी लगाते रहने से घाव जल्दी सुख जाता है।
  • सर्प की केंचुली को जलाकर इसकी राख को बरगद के दूध में मिलाकर रुई में भिगोकर नासूर पर रखना चाहिए।
  • रसकपूर में सिन्दूर मिलाकर लगाने से नासूर शीघ्र ठीक हो जाता है।
  • सूअर की चर्बी में हल्दी मिलाकर नासूर में लगाना चाहिए।
  • मोम और मीठा तेल बराबर मात्रा में लेकर गरम क्र लें। जब पूरा मोम गल जाय, तब उसमे अखरोट की गिरी मिलाकर लेप करने से नासूर मिट जाता है।
  • इमली के बीज पानी में भिगोकर छिलके निकाल दें, अन्दर की गिरी पीसकर रुई की बत्ती बनाकर नासूर पर रखने से नासूर ठीक हो जाता है।
  • बेर और नीम के पत्ते समान भाग पीसकर बाँधने से नासूर मिट जाता है।
  • लौंग और हल्दी पीसकर लगाने से नासूर ठीक हो जाता है।
  • पित्ती-रोग
  • एक तोला आँवले के चूर्ण को 1 तोला गुड़ में मिलाकर खाने से पित्ती-रोग शान्त हो जाता है।
  • अदरख को कूड़ा के साथ कुचल कर खाने से पित्ती रोग शान्त हो जाता है।
  • त्रिफला चूर्ण को शहद मिलाकर चाटने से पित्ती में आराम मिलता है।
  • घी में सेंधा नमक मिलाकर मालिश करने से पित्ती ठीक हो जाती है।
  • मोतीचूर के लड्डू खाकर उतर से घी पीने से पित्ती-रोग ठीक शान्त हो जाता है।
  • तीन माशा जीरा का चूर्ण गुड़ में मिलाकर दिन में 2-3 बार खाने से एक सप्तहा में पित्ती ठीक हो जाती है।
  • सरकण्डे की जड़ पानी में उबालकर नहाने से पित्ती-रोग मिट जाता है।
  • बेर के पत्ते पीसकर लगाने से पित्ती ठीक हो जाती है।
  • गेहूँ की भूसी और अजवायन समान भाग लें। इन्हें पीसकर शरीर पर मल लें और ओढ़कर से जाएं, पित्ती में लाभ होता है।
  • एक छटाँक चिरोंजी खाने से हर प्रकार की पित्ती शान्त हो जाती है।
  • दूब और हल्दी को एक साथ पीसकर लगाने से शीत-पित्ती में आराम होता है।
  • हाथ-पैर फटना
  • ग्वारपाठे की सब्जी खाते रहने से हाथ-पैर नहीं फटते।
  • सरसों के तेल की मालिश करके ठण्डे पानी से नहाने से हाथ-पैर नहीं फटते।
By Shivani

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