वन ही जीवन है
बच्चों क्या तुम वन महोत्स्व के बारे में जानते हो| आओ तुम्हे हम इसके विषय में अच्छी -अच्छी बाते बताएं कि वन हमारे लिए अति लाभदायक है| इनसे कितनो की जीविका चलती है और कितनो को जीवन मिलता है
हमें वन से फूल, फल ओर कंदमूल प्राप्त होते है|
इससे हमे अनेक डिजाइन के फर्नीचर खिड़की दरवाजे आदि तैयार करने के लिए लकड़ी प्राप्त होती है व छोटी से छोटी दियासलाई से लेकर बड़ी से बड़ी इमारततो के लिए कुर्सी व मेज आदि को जंगल की लकड़ी से तैयार जाता है|
आप लोग समझ सकते हो कि लकड़ी हमारे लिए कितनी उपयोगी है| इसकी छाया में हजारो पक्षी एवम जानवर पनपते है| अगर जंगल नहीं होंगे तो बिना पेड़ों के पक्षियों के घर नहीं होंगे या बेघर हो जाएंगे | ये पेड़ उनको गर्मी से बचते है व भोजन भी देते है|
कुदरत ने बहुत अच्छी बात पेड़ो के साथ बनाई है कि ये दिन में कार्बनडाई आक्साइड जैसी विषैली गैस को खा जाते है तथा हमे हवा के रूप में शुद्ध आक्सीजन देते है| जिससे हमारा वातावरण प्रदूषित से बचता है|वर्षा ऋतू में भी वृक्ष बहुत सहायक होते है| वृक्ष बाढ़ आंधी तूफान को रोकने तथा मिट्टी के कटाव को रोकने में भी सहायक होते है| खेतो की मिट्टी बहने से रोकने के लिए भी पेड़ लगाए जाते है उपजाऊ मिट्टी न बह सके| बढ़ती आबादी के साथ हमारे पेड़ कटते चले आ रहे है जिससे पेड़ो की कमी हो रही है| जंगल कम हो गए है| गावों में रहने वाले बच्चो को तो वनों का महेतव मालूम हे परन्तु शहरी लोगो के पता ही नहीं कि वनो कि हमारे जीवन में क्या अहमियत है| कही हमारे सारे वन धीरे-धीरे खत्म न हो जाऐ| वनों को बढ़ाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है| व्रक्षारोपण किया जाता है| सरकार द्वारा पेड़ो को काटने पर सख्त कार्यवाही की जाती है व पेड़ काटने पर पचास हज़ार तक का हर्दिजाना देना पड़ जाता है|
वन महोत्सव एक राष्टीय प्रोग्राम है| इसके लिए सरकार अपने राष्टीय खजाने से छोड़े – छोटे पौधे खरीदार भिजवाती है| जो कि हमारे गावों स्कुलो में जाकर सभी इनको लगाते है| इनके लिए पहले गड्ढे किए जाते है फिर पौधे लगाकर मिट्टी भरी जाती है इनको समय – समय पर खाद दी जाती हे| एवं इनकी सफाई की जाती है| हमारे देश में यह हर साल लगाए जाते है इसलिए कहा जाता है कि पेड़ ही पानी है ए पानी ही जीवन है|
इसीलिए प्रतियेक देश में 1/3 भाग में भूमि पर वनों का पेड़ो का होना अति आवश्यक है| हमारे उत्तराखंड में कई सारे वन पाए जाते है | अब हमारे बच्चों को इनके रखरखाव के लिए कदम बढ़ाना है क्योंकि यह आपकी अपनी सम्पत्ति है|
-पार्थ शिवानी