क्या कठिन बन रहा है साँस लेना?

क्या कठिन बन रहा है साँस लेना?

प्रदूषण का बढ़ता स्तर, जीवन शैली की अनियमितता तथा अशुद्ध खानपान जन्म दे रहा है, श्वसन संबंधी तकलीफों को। भौतिकता के पीछे दौड़ रहे मनुष्य के लिए अब वाकई चैन की साँस लेना कठिन होता जा रहा है।

एक नए शोध सवें के अनुसार भारत में 650 लाख लोग श्वास की बीमारियों से पीड़ित हैं। इसमेें से 130 लाख के करीब सीओपीडी से प्रभावित हैं। सन 2020 तक यह रोग सबसे आम बीमारियों में से चौथे नंबर पर आ जाएगा। सीओपीडी वह अवस्था है, जिससे श्वास मार्ग की दीवारें मोटी हो जाती हैं एवं उनमें सूजन आ जाती है। श्वास मार्ग में बलगम बनने लगता है, जो खाँसी के जरिए बाहर आता है।

 

छोटी-छोटी हवा की थैलियों से हवा नहीं खाली होती, जिससे रोगी को सीने में हर समय भारीपन महसूस होता है। सीओपीडी संक्रामक बीमारी नहीं है। सीओपीडी अधिकतर उन व्यक्तियों को होती है, जो धुम्रपान करते हैं या पहले कभी धुम्रपान करते थे। कुछ व्यक्तियों को सीओपीडी इसलिए होती है, क्योंकि वे लगातार ऐसी जगह पर काम करते हैं, जहाँ वातावरण में धुल-धुआँ हमेशा मौजूद रहता है। आइए जानें इस बीमारी के लक्षण- जब बीमारी की शुरूआती होती है तो पहले सवेरे अधिक खाँसी आती है,परंतु जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, खाँसी के साथ आता है। जब रोग बिगड़ता है तो बलगम सफेद से पीले रंग का हो जाता है। पहले तो मरीज की श्वास तब फूलती है जब वो चलता है, सीढ़ीयाँ चढ़ता है या व्यायाम करता है, परंतु जब रोग बढ़ जाता है तब बैठने या लेटने पर भी श्वास फूलती है। मरीज को अपने फेफड़े से आवाज सुनाई दे सकती है। इस बीमारी के बढ़ने से हदय पर भी जोर पड़ता है, जिसकी वजह से पूरे शरीर में सूजन आ सकती है।

अधिकतर पैरों से सूजन प्रारंभ होती है एवं होंठ नीले पड़ सकते हैं। शरीर धीरे-धीरे बहुत कमजोर होता चला जाता है एवं भूख कम होती जाती है। इसके उपचार में सबसे पहली और सबसे जरूरी चीज है कि मरीज धुम्रपान पूरी तरह से छोड़ें। इसके अलावा घर का वातावरण साफ-स्वच्छ रखें, धूल और धुएँ से जितना हो सके दूर रहें, क्योंकि इससे साँस की समस्या और बढ़ जाती है। खाना हमेशा खुले दरवाजे या खिड़की के पास पकाएँ,ताकि धुआँ एवं गंध सरलता से बाहर निकल जाए। ऐसी जगह खाना न पकाएँ, जहाँ आप सोते हैं या वैठते हैं। घर में धुआँ या तेज गंध जमा होते ही खिड़की, दरवाजे खोल दें। यदि घर के बाहर बहुत ज्यादा प्रदूषण, धूल या धुआँ हो तो खिड़की दरवाजे बंद करके घरके भीतर ही रहें। आज सीओपीडी का सफल उपचार मौजूद है। दवाइयों के अलावा कुछ मरीजों में शल्य क्रिया की भी जरूरत पड़ सकती है। अतः यदि निम्नलिखित में से कोई चेतावनी लक्षण दिखाई दें तो शीघ्र आपात सहायता प्राप्त करें।

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By Shivani

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