लम्बें समय तक एक ही तरह की दिनचर्या जीने से जीवन के रंग फीके पड़ते दिखाई देने लगते है। इस उबाऊ जिन्दगी से बाहर निकलने के लिए वह अपने जीवन को अधिक मनोंरंजक व उत्साहपूर्वक और अधिक कार्यशील बनाने के लिए कुछ टिप्स हम दे रहे हैं आप उनहें अपनाकर देखिये, आपका जीवन आपको बदलता हुआ नजर आयेगा।
1) अपना कोई एक पुराना शौक दुबारा अपनायें
अगर आपको कोई भी म्युजिकल इन्स्ट्रयूमैन्ट बजाने का शोक था तो आप उसको दुबारा शुरू कर सकते हैं, जैसे कि सितार, तबला या फिर गिटार बजाने का शौक।
2) व्यायाम व योगा कीजिए-
नियमित रूप से व्यायाम करने से आपका शरीर चुस्त-दुरूस्त व छरहरा बना रहेगा व योगा करने से आप मानसिक तनाव मुक्त रहेंगे। आप योगा और व्यायाम को अपनी दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाये, जिससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगे, जिससे लोग आप से प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे।
3) कम्प्यूटर सीखिये-
आधुनिक युग की एक खूबसूरत तोहफा है। इसे सीखकर आप अपने बच्चों की समस्याएं सुलझाने में सहायक हो सकते हो, अगर आपके बच्चे बड़े हो गये हों तो आप उनकी सहायता ले सकते हैं या फिर किसी भी कम्प्यूटर सेन्टर में जाकर सीख सकते हो। आप इसको अपने शौक के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं जैसे किचन की रेसपी व डिजाइन में भी इस्तेमाल कर सकते है।
4) नई कला को सीखना-
अनेक प्रकार की कलाआें के सीखने के केन्द्र हर जगह उपलब्ध है। अपने खाली समय में कोई भी कला की क्लास ज्वाइंन कर सकते हैं। अगर आपकी रूचि खाना बनाने में अधिक है तो आप खाना बनाने की क्लास ज्वांइन करें इससे मेहमान भी आपकी तारीफ करते नहीं थकेंगे और आपको भी खाना बनाने से आत्म सन्तुष्टि मिलेगी, प्राप्त होगी।े
5) बच्चो को भी जिम्मेदार बनाइयें-
जैसे चिड़िया अपने बच्चों को उड़ने देती है। वह अपना दाना स्वंय चुगने की इजाजत देती है। ठीक उसी प्रकार हमें भी अपने बच्चो को जिम्मेदार बनना चाहिए क्योकिं आजकल की भागदौड़ की दुनिया में कोई भी किसी का कार्य करना नहीं चाहते। इससे आपके बच्चे आत्मनिर्भर बनेंगे, उन्हें अपना कोई भी कार्य बोझ नहीं लगेगा। जैसे- अपने कमरे की सफाई स्वंय करने दें। अपना बैग स्वंय लगाने दें, अपने जूतों की पॅालिश स्वयं करने दें तथा अपने खाने के बरतन स्वंय रखें खाने की टेबल लगाने में फ्रीज में पानी की बोतल लगाने में मदद लें। इस तरह से आपके पास समय भी बचेगा। जिसको आप अपने अन्य किसी कार्य में लगा सकते हैं। इससे बच्चों का विकास भी होगा। इसमें इतना ध्यान अवश्य रखें कि बच्चो की पढ़ाई पर इसका प्रभाब न पड़े।
पार्थ शिवानी